Donnerstag, 29. Januar 2009

हम चोदते चले गए, वो चुदवाती चली गई......

हम चोदते चले गए, वो चुदवाती चली गई,
मेरे लंड पर वो अपनी भोसड़ी हिलाती चली गयी
हम चोदते चले गए, वो चुदवाती चली गई,
मेरे लंड पर वो अपनी भोसड़ी हिलाती चली गयी

जिस्म की वो नुमाइश थी, मजनुओं की ये फरमाइश थी
वो भरी महफिल मे अपनी चूत दिखाती चली गयी

हम चोदते चले गए, वो चुदवाती चली गई.....

शुरू हो चूका था वो खेल, लंड पे लगा था आज सांडे का तेल,
मेरा लौडा वो और अन्दर और अन्दर घुसाती चली गयी

हम चोदते चले गए, वो चुदवाती चली गई.....

झड़ते हुए लंड का माल वो चाहे हंस - हंस कर पीती है
लंड चाहे गरीब का चाहे किसी अमीर का लेती है
चुदवाते हुए नाम आज भी वो इस समीर का लेती है !!

समीर जेहरीला.

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