जिस चूत की थी उनको बचपन से तलब वो खुद बा खुद उनको आकर मिली
जिस चूत को ढूंडा उन्होंने सारे देश मै वो उनको परदेस मै जाकर मिली
चूत की बस एक झलक ने कर दिया था उनको दंग
फिर बिस्तर क्या था वो थी मैदाने जंग
राहत उनको फिर चुदाई की ये जंग हराकर मिली
जिस चूत को ढूंडा उन्होंने सारे देश मै वो उनको परदेस मै जाकर मिली
जिस छेद की तलब मै उन्होंने तख्तों को नहीं बख्शा
तख्तों की चादर पर बनाया उन्होंने सड़के का नक्शा
उन्हीं तख्तों पैर चूत आज लहराकर मिली
जिस चूत को ढूंडा उन्होंने सारे देश मै वो उनको परदेस मै जाकर मिली
खून से लिखे ख़त आज भी वो जलाते मिलते है
कमरे मै आज भी वो अपना लंड हिलाते मिलते है
रहत फिर भी उनको भोसड़ी मै लंड घुसा कर मिली
जिस चूत को ढूंडा उन्होंने सारे देश मै वो उनको परदेस मै जाकर मिली
समीर जहरीला
Freitag, 26. Juni 2009
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